जुस्तजू भाग --- 5
कुछ शतरंज की चालों सी बेवफ़ा, कभी पासों की तरह पलटती।
ए ज़िंदगी, तू आसान भी हो सकती थी।
यह रहस्योद्घाटन जैसे आरूषि पर बम की तरह फटा। पर कैसे मान ले वह इस अनजान आदमी की बात ?? और मौसीजी !!! यह एक ही रिश्ता तो वह जानती थी जो किसी तरह उसके माता पिता से जुड़ा था। और दी !! उनकी परवाह, उनकी गाइडेंस !! वह सब !! क्या उसको इस तरह फंसाने की चाल भर थी !! वह ब्लैंक हो चली थी। चारों तरफ के दृश्य जैसे कोई सपना थे उसके लिए !!
तभी अनुपम ने फिर से उसके रूम में एंट्री ली।
"बस, निकलिए यहां से। कहीं फिर से कुछ बुरा न हो जाए।" उसने आरूषि का सामान जल्दी जल्दी समेटा। अपने और उसके सूटकेस एक हाथ से खींचता और दूसरे हाथ से आरूषि को लगभग घसीटता सा होटल के रिसेप्शन पर पता नहीं क्या कहा और चेक आउट कर अपनी कार में सारा सामान डाल लिया।
"घबराओ नहीं, आप जो चाहेंगी वही होगा। मुझ पर भरोसा रखिए ।" वह कार चलाते हुए बोला।
वह चाभी की गुड़िया जैसी, जो वह कह रहा था, कर रही थी।
मौसम बेहद ख़राब हो चला था। बर्फीली हवाएं चलने लगी थी। अचानक ब्रेक का झटका लगने से जैसे वह होश में आई। पहली बार उसने इस अनजान को ध्यान से देखा।
"यह तो बिलकुल अलग ही था। कहां वह हिप्पी सा सहयात्री और कहां यह लगभग हीरो सा सजीला !! जो उसका हमसफ़र बन गया था भाग्य से !! नहीं, नहीं यह भाग्य नहीं कोई साजिश भी तो हो सकती है। मैं क्यों भरोसा करूं इसका !! और यह शादी !! फिर वहां जीजाजी और दीदी साथ क्यों थे ?? हे कान्हा !! यह कैसा खेल है ??"
" तूफ़ान के आसार हो रहे हैं। हमें रुकना ही होगा। कुछ देर में हम कुल्लू पहुंचने वाले होंगे। वहां किसी होटल में कमरे ले लेंगे।"
"गाड़ी रोकिए तुरंत। पहले सारी घटना सच सच बताइए।"उसने गाड़ी रुकवा दी।
"मौसम बेहद ख़राब है सेफ जगह पहुंचना ज़रूरी है। वरना बुरे फंस जायेंगे।"
"इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता मेरे साथ। पहले आप सब सच बताएं। फिर आगे का तय करेंगे।"
अनुपम समझ चुका था यह ऐसे ही नहीं मानने वाली।
"तो जितना मैं जानता हूं, सुनो। मैं चंडीगढ़ में अपने घर चला गया। यहां मेरे स्कूलमेट की शादी में आना था तो अपनी कार लेकर आ गया। पहुंचते ही वह मुझे अपने साथ अकेले में ले गयाऔर बोला यार मैं किसी और से प्यार करता हूं। पता नहीं कैसे हमारे घरवालों को पता चल गया और आनन फानन में यह शादी तय कर दी। हम दोनों एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं जानते। नाम तक नहीं। हां भाग्य इतना साथ दे रहा है कि उसकी भी शादी यहीं मनाली में है। वह किसी तरह पार्लर के बहाने वहां से बाहर निकल गई है। हम दोनों बहुत चाहते हैं एक दूसरे को। सब तय है बस इन दो घंटो की बात है। हम शादी करके यहां लौट आयेंगे। तब तक संभाल ले भाई। मिन्नतें करने लगा मैं भी यही सोचकर तैयार हो गया कि कुछ गड़बड़ होगी तो मैनेज कर लूंगा। पर यहां तो दोनों परिवार जैसे मिले हुए थे। दूल्हा दुल्हन को परदे का उपयोग कर उनके पर काटना चाहते थे। पर उनके पंछी तो उनसे तेज थे। मैंने जब बात बढ़ते देखी तो उन्हें फ़ोन लगाने की कोशिश की। पर शायद मेरे दोस्त के पिता को पता चल गया था। उन्होंने हथियारबंद लोगों से मुझे घिरवा दिया। फिर भी मैंने आपको वही लड़की समझकर बताने की कोशिश की। पर फेरों से पहले आपके मौसाजी ने आपकी सच्चाई मुझे बताई और विदाई के बाद तुरंत लौट जाने का इरादा बताया। तभी पता चला कि आपकी दी की योजना का अंदेशा उन्हें था तो उन्होंने अपनी इज्ज़त के लिए आपको दांव पर लगाने का इरादा बना रखा था।"
"पर वहां से मुझे ले आने का क्या कारण था ?"
"जानती होगी कि जो भागे थे, शादी भी उन्ही की तय हुई थी। तो शायद आपके परिवार के दगा का बदला आपसे लिया जा सकता था।"
मौसम अब बेहद बिगड़ चुका था और उनकी मंज़िल कुल्लू दूर थी।
"यहां से 2 किलोमीटर आगे के गांव में मेरे पिता का लिया एक छोटा सा मकान है। आप भरोसा करें तो वहां रुक सकते हैं।"
बर्फबारी शुरू हो चुकी थी और इस रहस्योद्घाटन से भी आरूषि कुछ सोचने समझने लायक नहीं थी। अनुपम ने फिर से उसे कार में बिठाया और वहां ले गया।
घर पहुंचकर आरूषि को अंदर छोड़ते हुए बोला, " थोड़ी दूर इसके केयर टेकर का घर है मैं बाकी इंतजाम करने जा रहा हूं। आप किसी तरह की चिंता न करें। यहां आप सुरक्षित हैं और आगे भी आप जो डिसीजन लेंगी मैं उसका सम्मान करूंगा। मेरे लौटने तक आप दरवाज़ा बंद कर लीजिएगा।"
इतना कहकर वह बाहर चला गया। आरूषि इतना अंदाजा लगा चुकी थी कि वह उसके साथ सेफ है। फिर इस सब को ख़त्म करना था तो उसका साथ चाहिए था। वह दुल्हन के कपड़ों में बैचेनी महसूस कर रही थी। दरवाज़ा बंद कर उसने अपने सामान में से कुछ कपड़े निकाले और बदलकर बाहर आ गई। बर्फबारी से ठंड तेज थी। उसने तलाशा तो अंदर के कमरे में बिस्तर पर मोटी रजाई रखी थी। 3 रातों से उसे बिल्कुल आराम करने को नहीं मिला था। गर्मी मिलते ही वह कब गहरी नींद में चली गई पता ही नहीं चला।
अचानक उसकी आंख खुली तो कुछ समय यही समझने में लग गया कि वह कहां थी। उसे याद आया कि अनुपम केयर टेकर के घर से लौटने वाला था। पर उसका कोई पता नहीं था। उसने उठकर बाहर का दरवाज़ा खोला तो वह बुरी तरह चौंक पड़ी। अनुपम बर्फ से ढका दरवाजे पर बेहोश था। पता नहीं कब लौटा था वह। अपने को कोसते हुए किसी तरह वह उसे अंदर खींच लाई और बिस्तर पर लिटाने में सफ़ल हो गई पर उसे होश में लाना भी जरूरी था। अनुपम कोल्ड बाइट का शिकार भी हो सकता था। बिजली भी नहीं आ रही थी। उसने रसोई देख ली थी और किसी तरह गैस जलाने मे सफ़ल हो गई। अब सारी ज़िम्मेदारी उसी की थी। उसके सारे ज्ञान और मेहनत के बावजूद अनुपम को होश नहीं आ रहा था। उसका बदन अभी भी नॉर्मल नहीं हुआ था। वह सारी हिचक छोड़कर उसे अपने से चिपका ली। फिर से क़िस्मत इम्तेहान ले रही थी उसका।
"कान्हा, मदद कीजिए।"वह हताश हो चली थी। अब यही उपाय आखिरी था। उसके सामने सारी घटनाएं सजीव हो चली थी।
"जो भी हुआ अभी तो पति ही है मेराऔर सारी गलती अभी मेरी है, न सोती, न ये बाहर रह जाते।"
फिर से आंसुओं, प्रार्थना और इलाज़ का दौर चल रहा था। आख़िर सब प्रयास रंग लाए और अनुपम कराहा था।
जैसे उसकी ख़ुद की सांस लौट आई थी। वह अनुपम को अपने आगोश में भरे कब फिर से नींद में खो गई, पता ही न चला। रात 10 बजे अनुपम को होश आया तो उसने आरूषि को इस तरह देखा। उसने उठने की कोशिश की। उसके हिलते ही आरूषि भी जग पड़ी।
"आप इस तरह कैसे छोड़कर जा सकते हैं मुझे ? आप बर्फ में लौटे क्यों ? आपकी गलती है सारी। पहले शादी कर ली, फिर भगा लाए इस तरह और यहां अपनी जान दांव पर लगा दी। किसने हक़ दिया आपको इस तरह मुझसे खेलने का ?"। गम, खीज, अपनो का धोखा, गुस्सा और अनुपम को खो देने के अहसास जैसे अनेकों इमोशंस में डूबी हुई हिचकियों से रोती जा रही थी।
अनुपम के लिए यह सब अनोखा था। मां के अलावा किसी भी स्त्री का यह साथ अलग सा था। उसने आरूषि को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया। जो भी हुआ था, वह अब उसकी पत्नी थी और उसी की तरह परवाह कर रही थी। अब उसे उसके एहसासों से निकालने का वक्त था। कब ये सब एक दूसरे के साथ में बदल गया दोनों को ही कुछ पता न चला।
सुबह पहले आरूषि की आंख फिर खुली। उसे गलत हो जाने और अपना नियंत्रण खो देने के अहसास ने शर्मिंदगी और अफ़सोस से भर दिया।। बाहर बर्फबारी रुक चुकी थी। अनूपम भी जाग गया था। उसके अहसास भी वैसे ही थे पर आरूषि का चेहरा देखते ही उसने उसे गिल्टी से बाहर निकालने और अपना लेने का निश्चय कर लिया था।
"क्या गलत है क्या सही, यह तो ईश्वर ही जानें पर मेरे लिए आप ही अब मेरी पत्नी हो। और एक सच, आपके अलावा और किसी को पहले कभी भी न प्यार किया और न ही छुआ।"
"यह क्या था ?!! क्या कोई पुरुष अपनी पत्नी को इस तरह सफ़ाई देता है ?!!"
मन में द्वंद चल रहा था आरूषि के। पर वह भी इस सच्चाई से परिचित हो गई थी। शायद पहली बार जब ध्यान से देखा था उसे तभी आरूषि के अंतर्मन ने स्वीकार लिया था। दोनो एक दूसरे से नजरे बचाते उठ कर अपने अपने काम में लग गए थे। पर अनुपम को इस अहसास ने वाचाल कर दिया था। वह उसे छेड़ दे रहा था। और आरूषि !! वो बेचारी बस शर्मा ही सकती थी। अनुपम को उनके बचपन का साथ याद था। आखिर आरूषि को कब उसने अपना मान लिया था वह ख़ुद भी नहीं जानता था पर शायद वही थी उसके अवचेतन में। जो और किसी को उसकी जगह आने की इजाजत नहीं देते थे। पर आरूषि को वे अहसास नहीं थे।
पर उसका आज़ !! वह बदल गया था। और उसे वह सब अच्छा भी लग रहा था।
क्रमशः
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बात दिल की :-
प्रबुद्ध पाठकों 🙏🏻🙏🏻
रचना शायद आपको इतनी पसंद नहीं आ रही है। तभी कमेंट्स कम है यहां। कुछ पाठक असहमत होंगे इन घटनाओं की सीक्वेंस से। पर मेरा मानना है कि यह अधिकार केवल ईश्वर को है कि वह क्या संयोग लिखता है। आज भी हमारे देश में दो अंजाने साथी विवाह बंधन में बंधते है और फिर भी उनका आपस में प्यार किसी प्रेमी युगल से कम नहीं।
जैसा रचना को प्रारंभ करते समय लिखा था कि आपके सुझाव आमंत्रित हैं और तदनुसार बदलाव संभव हुए तो अवश्य किए जायेंगे। पर बदलाव के तर्क सही हों तो ही।
शेष आपके रचना को पढ़ने का शुक्रिया।
🙏🏻🙏🏻
जय जय
Seema Priyadarshini sahay
06-Feb-2022 05:27 PM
आपकी कहानी बहुत ही रोचक है
Reply
Ajay
07-Feb-2022 01:52 AM
🙏🏻🙏🏻
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राधिका माधव
07-Dec-2021 11:12 AM
बेहतरीन कहानी...फ्लैशबैक ...nice...
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Ajay
07-Dec-2021 08:40 PM
आपके सुझाव भी मिले तो क्या बात हो 🙏🏻🙏🏻
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Aliya khan
07-Dec-2021 10:48 AM
आपकी की कहानी पंसद न आये ऐसा नही हो सकता है हर बार आप अपनी कहानी में कुछ न कुछ नया ले कर आते हैं जो पंसद आता है ये भी एक ऐसे ही कहानी है इसको धोखा कहे या किस्मत का खेल जो ज़िन्दगी उसके साथ खेल चुकी थी एक अनजान के साथ शादी के इस कश्मकश से उभर भी नही पाई थी मन मे एक ऐसे एहसास जन्म ले रहा था जिस का उसे खुद भी पता नही था एक दोराहे पर खड़ी ज़िन्दगी अब अगले में ही पता चलेगा कि उसने क्या फैसला लिया अगले पार्ट के इंतज़ार में
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Ajay
07-Dec-2021 08:41 PM
इस कहानी को इतनी अच्छी तरह समझने का 🙏🏻🙏🏻
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